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Class 10 Sparsh II Hindi Chapter 10

Class 10 Sparsh II Hindi Chapter 10

प्रश्न १: कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?
उत्तर: कथा-नायक में बुद्धि की कमी न थी, परन्तु उसका मन पढ़ने की अपेक्षा खेल में ही लगा रहता था | उसे खेलना-कूदना कंकरियाँ उछालना, गप्पें मारना, कागज़ की तितलियाँ उड़ाना, चारदीवारी पर चढ़कर कूदना और फाटक पर सवार होकर उसे मोटरकार की तरह चलाना बहुत भाता था |

प्रश्न २: बड़े भाई साहब छोटे भाई से पहला सवाल क्या पूछते थे?

उत्तर : वे हमेशा उससे पूछते थे कि 'कहाँ थे' |

प्रश्न ३: दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया? 

उत्तर : छोटे भाई के दूसरी बार पास होने और बड़े भाई के फिर से फेल होने पर छोटे भाई की स्वच्छंदता बढ़ गई और उसने अपना अधिक समय मौज-मस्ती करने में व्यतीत किया | उसने बड़े भाई की सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाना आरंभ कर दिया |

प्रश्न ४: बड़े भाई साहब लेखक से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन सी कक्षा में पढ़ते थे ?

उत्तर: बड़े भाई साहब लेखक से उम्र में पाँच वर्ष बड़े थे और वे नवीं कक्षा में पढ़ते थे |

प्रश्न ५: बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?


उत्तर : बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कापियों और किताबों के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों आदि के चित्र बनाते थे और अर्थहीन बातें लिखते थे | कभी-कभी सुन्दर लिखी में शेर भी लिखते थे | 


प्रश्न ६: बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
उत्तर : बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं क्योंकि वह स्वयं को अपने भाई के समक्ष आदर्श रूप में प्रस्तुत करना चाहते थे | बड़ा होने का दायित्व बोध उन्हें इच्छा होते हुए भी खेल कूद में समय गंवाने से रोकता था | वे चाहे पढ़ाई में पीछे रह गए हों पर सहज-बुद्धि की उनमें कमी न थी | वे जानते थे कि अगर वे स्वयं बरह चलेंगे तो भाई को उसपर चलने से कैसे रोकेंगे ?
उन्हें ज्ञात था की उनके दादा ने बड़ी मुश्किलों का सामना कर उन्हें व छोटे भाई को पढ़ने के लिए छात्रावास भेजा है | वे चाहते थे कि कम से कम एक भाई तो पढ़ाई में अव्वल आकर उनके पैसे सार्थक करे | वे स्वयं इतने प्रखर-बुद्धि न थे इसलिए छोटे भाई से अपेक्षा करते थे कि वह कक्षा में अव्वल आयें | छोटे भाई के समक्ष एक मिसाल बनने के कारण उनका स्वयं का बचपन ही कहीं खो गया था |

प्रश्न ७: बड़े भाई की डांट-फटकार अगर छोटे भाई को न मिलती तो क्या वह अव्वल आता ?
उत्तर : बड़े भाई की डांट-फटकार के कारण ही छोटा भाई पढ़ाई को थोड़ा बहुत समय देता | बड़े भाई के बार-बार डांटने से ही छोटे भाई ने टाइम-टेबल बनाया था और पढने में ध्यान दिया | बड़े भाई साहब की डांट के कारण ही उसपर थोड़ा सा अंकुश रहता और वह एक घंटे के करीब पढ़ता | हालांकि छोटा भाई बुद्धिमान था, परन्तु यह भी सत्य है की बुद्धिमान छात्र भी परिश्रम करने पर ही सफल होते हैं | भाग्य भी मेहनती का ही साथ देता है | केवल भाग्य के भरोसे बैठे रहकर छोटा भाई अव्वल न आता | 

प्रश्न ८: बड़े भाई साहिब ने जिन्दगी के अनुभव में किसे महत्त्वपूर्ण कहा है?

उत्तर : बड़े भाई साहब ने किताबी ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण ज़िन्दगी के अनुभव को कहा है क्योंकि जानकारियाँ रख लेना एक बात है और ज़िन्दगी को सुचारू रूप से व्यतीत करना दूसरी बात | उनके अनुसार जीवन की सही समझ अनुभव से ही विकसित होती है | किताबें केवल ज्ञान पाने का माध्यम हैं जबकि अनुभव व्यावहारिक ज्ञान देता है जिसकी कदम-कदम पर आवश्यकता होती है| संकट के समय बिना घबराये स्थिर-बुद्धि से उसका सामना करना और सही निर्णय लेना , किताबों से नहीं अपितु अनुभव से सीखा जा सकता है | बड़े भाई साहब अपने दादा का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि उन्होंने बड़े कम पैसों में बहुत सम्मान और नेकनामी से अपने कुटुम्ब का पालन किया | हैडमास्टर साहब की अनपढ़ माँ में भी वे गुण थे जो ऑक्सफ़ोर्ड से शिक्षित हैडमास्टर साहब में नहीं थे | इसी कारण बड़े भाई साहब का यह दृढ़ विश्वास था कि समझ अनुभवों से आती है, किताबें पढ़ने से नहीं | सही और गलत का अंतर विवेक से आता है जो किताबों से प्राप्त नहीं होता |

Courtesy : CBSE